Saturday, July 16, 2011

एनीमिया से बचाव .......


    हाल ही में एक महिला अपने साथ अपनी बहु को लाई और बोली,"डाक्टर साहब ,बहू को चाहे कितना भी खिला दो,दिन प्रतिदिन पीली पड़ती  जा रही है.सारा दिन कभी इधर गिरेगी ,कभी उधर ,किसी काम में इसका दिल ही नहीं."
         पुराणी नुस्खे देखने से पता चला कि इस महिला कि जांच पहले भी कई बार कि जा चुकी थी.मैंने उस कि जाँच कि,महिला में एनीमिया के संकेतों के अलावा कुछ नज़र नहीं आया.अतः मैंने उस से कहा,"देखिये, आप कि बहू को खून कि कमी कि वजह से कमजोरी है.वैसे दवा लिख दी है,पर जब तक एनीमिया के कारन का पता नही लग जाता,पूर्ण रूप से निदान नही हो पायेगा.आप  कल सुबह इनके खून व शौच कि जांच करवा लें.
       अगले दिन सुबह ही दोनों   हाल ही में एक महिला अपने साथ अपनी बहु को लाई और बोली,"डाक्टर साहब ,बहू को चाहे कितना भी खिला दो,दिन प्रतिदिन पीली पड़ती  जा रही है.सारा दिन कभी इधर गिरेगी ,कभी उधर ,किसी काम में इसका दिल ही नहीं."
         पुराणी नुस्खे देखने से पता चला कि इस महिला कि जांच पहले भी कई बार कि जा चुकी थी.मैंने उस कि जाँच कि,महिला में एनीमिया के संकेतों के अलावा कुछ नज़र नहीं आया.अतः मैंने उस से कहा,"देखिये, आप कि बहू को खून कि कमी कि वजह से कमजोरी है.वैसे दवा लिख दी है,पर जब तक एनीमिया के कारन का पता नही लग जाता,पूर्ण रूप से निदान नही हो पायेगा.आप  कल सुबह इनके खून व शौच कि जांच करवा लें.
  उपस्थित थी.खून कि जांच करने पर पाया गया कि मरीज का हिमोग्लोबिन केवल सात ग्राम प्रतिशत था एवं शौच में एक प्रकार के कीड़े  पाए गये,जो शरीर का खून चूसते रहते हैं.डाक्टर ने उन्हें कीड़े मारने कि दवा दी,साथ में खून बढ़ाने की भी दवाइयाँ लिख कर दी.कुछ ही अरसे बाद उस महिला में वे लक्षण गायब हो गए थे.
        हमारे रक्त में कई प्रकार के रक्त कण होते हैं,परन्तु जिन रक्त कणों का सम्बन्ध लाल रंग से होता है उन रक्त कणिकाओ में हिमोग्लोबिन नमक पदार्थ होता है जो की रक्त को लाल रंग प्रदान करता है.उपस्थित थी.खून कि जांच करने पर पाया गया कि मरीज का हिमोग्लोबिन केवल सात ग्राम प्रतिशत था एवं शौच में एक प्रकार के कीड़े  पाए गये,जो शरीर का खून चूसते रहते हैं.डाक्टर ने उन्हें कीड़े मारने कि दवा दी,साथ में खून बढ़ाने की भी दवाइयाँ लिख कर दी.कुछ ही अरसे बाद उस महिला में वे लक्षण गायब हो गए थे.उपस्थित थी.खून कि जांच करने पर पाया गया कि मरीज का हिमोग्लोबिन केवल सात ग्राम प्रतिशत था एवं शौच में एक प्रकार के कीड़े  पाए गये,जो शरीर का खून चूसते रहते हैं.डाक्टर ने उन्हें कीड़े मारने कि दवा दी,साथ में खून बढ़ाने की भी दवाइयाँ लिख कर दी.कुछ ही अरसे बाद उस महिला मे
वे लक्षण गायब हो गए थे.
हमारे शरीर में हर १०० मिलीलीटर रक्त में प्राय १३ से १४ ग्राम हिमोग्लोबिन होता है.अगर किसी व्यक्ति के प्रति १०० मिलीलीटर  रक्त में ११ ग्राम या उससे कम   हिमोग्लोबिन होता है तो उसे रक्ताल्पता या एनेमिक कहते हैं व इस रोग को एनीमिया की संज्ञा दी गयी है.
रक्त को बनाने एवं स्वस्थ रखने के लिए हमारे शरीर को लौह,फोलिक एसिड ,विटामिन बी-२ ,प्रोटीन, विटामिन-सी जैसे आवश्यक तत्वों की जरूरत रहती है.भोजन में इन तत्वों में से किसी की कमी,खासतौर पर लौह की कमी से शरीर में रक्त की कमी उत्तपन हो जाती है .
एनीमिया अधिकतर गर्भवती स्त्रिओं और इसे छोटे बच्चों को जो अभी स्कूल नहीं जा रहे ,में अधिकतर पाया जाता है.
    बाल्यकाल और गर्भावस्था, इन दोनों ही अवस्थाओं में शरीर को लौह की अधिक मात्रा में जरूरत होती है.वेसे भी महिलाओ को अपने भोजन में पुरुषों  से अधिक लौह तत्वों का इस्तेमाल करना चाहिए क्योंकि मासिक धर्म में लौह तत्व भी रक्त के साथ विसर्जित हो जाते हैं,इसके अलावा जो महिलाऐं स्तनपान करवा रही होती हैं, उन्हें भी लौह तत्व की कमी के कारण एनीमिया हो जाता है.
      अभी कुछ महीने पूर्व एक महिला जो की सातवीं बार गर्भवती हुई थी,( क्योंकि सामजिक परम्पराओं  के कारण उसके पति ने वंश चलाने  के लिए लड़के की कामना में उसे ६ लडकियों को जन्म देने पर मजबूर कर दिया था ) जब वह मेरे पास आई तो,प्रसव पीड़ा तो दूर,उस महिला के रक्त में हिमोग्लोबिन की मात्र केवल ४ ग्राम प्रतिशत थी.इसका कारण मात्र एक ही था की हर बार प्रसव में बहुत खून निकल जाता था.इसके अलावा दूसरा कारण था,उसके बढ़ते बच्चों को दिन प्रतिदिन अधिक खाने की जरुरत,फलतः माँ की लिए कम भोजन बचता था.
बात यही ख़तम नहीं हो जाती.प्रसव में अधिक रक्त स्त्राव होने की वजह से उस महिला को एक बोतल खून देने का निर्णय किया गया.इसके लिए उसके पति को रक्तदान करने को कहा गया तो उसके होश फाकता हो गये.  अंततः अस्पताल से ही खून का इन्तेजाम करके उस महिला की जान बचाई गयी .
रक्त की कमी यानि एनीमिया के रोगी बहुत जल्दी थक जाते हैं,उन्हें भूख कम लगती है,ज्यादा परिश्रम करने से उनकी सांस फूलने लगती है,त्वचा का रंग पीला हो जाता है,नाखूनों का रंग भी काफी हल्का गुलाबी हो जाता है.
इन लक्षणों के अलावा यदि किसी व्यक्ति के नाखून चम्मच की तरह हो गये हो या वे आसानी से टूट जातें  हों तो समझना चाहिए की उसमें खून की ज्यादा कमी है.
गर्भावस्था में एनीमिया जानलेवा तो हो ही सकता है ,इसके अलावा अगर महिला एनेमिक है तो बच्चा कम वजन का होगा,इस स्थिति में बच्चा समय से पहले भी हो सकता है.

एनीमिया से बचने  का तरीका आसान है मसलन भोजन में लौह पदार्थो का अधिक सेवन ,अधिक मात्रा में लौह तत्त्व मुखाताया हरी सब्जियों,दाल,अंडा एवंम मॉस में पाया जाता है.दैनिक जीवन में इन पदार्थो के सेवन से एनीमिया के होने की सम्भावना काफी कम होती है.इस सब के उपरांत  भी यदि कोई  व्यक्ति एनीमिया से ग्रसित हो तो  उसे डाक्टरी देखरेख में उचित जांच करवा कर ही लौह तत्त्व युक्त गोलियों और ताकत की दवाइयां सेवन करनी चाहियें.
ये ध्यान रखें की इलाज खुद न करके
डाक्टरी देखरेख में ही करवाएं,इसके अलावा कभी भी लौह तत्त्व युक्त दवाइयों का सेवन भूखे पेट न करें,इससे पेट में घाव बन जाने की संभावना रहती है.
विशेषकर गर्भवती महिलाओं को अपने निकटवर्ती चिकित्सालय में नियमित रूप से एन्तिनेतल क्लिनिक्स में जाना चाहिए.इन क्लिनिक्स में महिलाओं की नियमित रूप से हिमोग्लोबिन की जांच होती है एवं एनीमिया को उसकी प्रारंभिक अवस्था में ही उचित उपचार करके रोक दिया जाता है.
  

1 comment:

Unknown said...

डॉ. साहेब बड़ी प्रतीक्षा के बाद एनिमा पर आपका लेख आया ,शायद आप व्यस्त होंगें गहरी व सरल शब्दों में जानकारी दी.ना जाने कितने लोगों को मार्ग मार्ग दिखाएगी साधुवाद